परवल की खेती में वर्मी कंपोस्ट और रेन इरिगेशन सिस्टम के उपयोग से उत्पादन दो गुना हो जाता है

परवल की खेती में वर्मी कंपोस्ट और रेन इरिगेशन सिस्टम के उपयोग से उत्पादन दो गुना हो जाता है

परवल की उन्नत खेती के लिए सिंचाई और खाद व्यवस्था का कितना है महत्व

परवल की सब्जी से आप सभी वाकिफ हैं इसमें मौजूद पोषक तत्व जैसे विटामिन के अलावा विटामिन B1 विटामिन B2 और विटामिन सी जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं यदि आप इस की उन्नत खेती करना चाहते हैं तो आपको इसकी तकनीकी बारीकियों को जानना बेहद जरूरी होता है इस की वैज्ञानिक खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक हो सकती है यदि आप भी परवल की उन्नत खेती करना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है |

परवल की खेती के लिए किसी विशेष तरह की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है और इसके लिए जीवाश्म युक्त बलुई दोमट मिट्टी बहुत उत्तम मानी जाती है इसमें हमें ध्यान देने की बात यह है कि जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए क्योंकि इसकी अच्छी ग्रोथ के लिए इसकी बेलों  को स्वस्थ रखना बेहद ही आवश्यक होता है |

परवल की खेती के लिए प्रमुख किस्में (Major varieties for Parval cultivation)

यह एक बहुवर्षीय फसल है जिसे एक बार लगाने के बाद तीन सालों तक उत्पादन ले सकते हैं. यदि इसकी वैज्ञानिक खेती की जाए तो इससे अधिक लाभ मिल सकता है. इसकी उन्नत किस्में इस प्रकार है: , राजेंद्र परवल-2, नीमिया,स्वर्ण आलौकिक और स्वर्ण रेखा |

परवल की खेती में वर्मीकम्पोस्ट का महत्व Importance of manure in the cultivation of parval

रसायनिक चीजें कितनी खतरनाक होती हैं यह हम सभी जानते हैं वह चाहे इंसानों के लिए हो या पेड़ पौधों के लिए | अगर आप परवल की उन्नत खेती करना चाहते हैं तो आप गोबर से बनी वर्मी कंपोस्ट खाद का ही उपयोग करें इससे ना केवल आपको परवल की खेती में अधिक उत्पादन मिलेगा बल्कि ऑर्गेनिक तरीके से परवल का उत्पादन करने के कारण आपको मार्केट में उसके  अच्छे दाम भी मिलेंगे हम सभी जानते हैं कि मौजूदा समय में ऑर्गेनिक फल  और सब्जियों की कितनी डिमांड है | वर्मी कंपोस्ट को आसानी से तैयार करने के लिए आप यह पढ़ें -वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधि

parval ki kheti

परवल की खेती में रेन सिंचाई  प्रणाली का महत्व (Importance of Rain Irrigation System in Parval Cultivation)

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज भी अधिकतर किसान फ्लड इरिगेशन का प्रयोग सिंचाई के लिए करते हैं जिस कारण खेतों में अधिक पानी भर जाता है और फसलों में सड़न पैदा होने लगती है जिस कारण पेड़ पौधों की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पाती है वहीं पर अगर हम रेन इरिगेशन सिस्टम के माध्यम से सिंचाई करते हैं तो फसलों को आवश्यकता के अनुसार पानी उपलब्ध करा सकते हैं | इस सिंचाई प्रणाली के माध्यम से हम अपने खेतों में जैविक खाद की घोल को भी बड़ी आसानी से पहुंचा सकते हैं |

परवल की खेती से उत्पादन( Production for Pointed Parval)

परवल की हार्वेस्टिंग  के दौरान  इस विशेष बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि फल अधिक बड़ा ना हो पाए  | क्योंकि बहुत बड़ा फल जल्द ही पक जाता है | इस कारण आर्थिक रूप से घाटा उठाना पड़ जाता है |1 महीने में पांच से छह बार फसलों  की तुड़ाई  कर सकते हैं|